जोधपुर. काेराेना नाम से दुनिया डरी हुई है, लेकिन इलेक्ट्रिकल इंजीनियर्स के लिए यह समस्या नई नहीं है। जब से हमें बिजली मिल रही है, तब से कोरोना नामक एक तकनीकी समस्या से जूझ रहे हैं। खास बात यह है कि दोनों का अब तक कोई इलाज सामने नहीं आया है। दाेनाें से बचने का एक ही हल है, डिस्टेंसिंग। जिस प्रकार कोरोना वायरस के बचने का कारगर उपाय सोशल डिस्टेंसिंग है, उसी प्रकार इलेक्ट्रिकल पॉवर ट्रांसमिशन में आने वाली तकनीकी समस्या कोरोना का भी एक ही उपाय है दो कंडक्टर के बीच की दूरी।
पूरे दुनिया काे कोरोना वायरस से बचाने के लिए हर देश के लाेगाें काे घरों में रहने, बाहर ना निकले और एक-दूसरे के संपर्क में नहीं आने की सलाह दी जा रही है, ताकि इस वायरस को बढ़ने से रोका जा सके। उसी प्रकार इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में कोरोना टर्म का वायरस बना हुआ है। यह करंट काे सतह के बाहर फ्लो करता है तो हमारे लॉसेज बढ़ जाते हैं। करंट वेस्ट होने से इसकी एफिशिएंसी भी कम होती है, इसलिए इसे कम से कम करने का प्रयास किया जाता है। इसके लिए बड़े-बड़े ट्रांसमिशन टॉवर पर लगने वाले कंडक्टर के बीच की दूरी को बढ़ा दिया गया है। चूंकि यह लाइन और वोल्टेज के ऊपर निर्भर है। जितना ज्यादा वोल्टेज होगा, कंडक्टर उतनी दूरी पर लगेंगे।
कोरोना टर्म:
देश में जितने भी बड़े ट्रांसमिशन टॉवर हैं, उन पर कंडक्टर लगे होते हैं। बारिश में इन कंडक्टर के पास आवाज आती है और कई बार तारों के पास लाइट पर्पल कलर की रिंग बनती नजर आती है। इलेक्ट्रिकल पॉवर ट्रांसमिशन में इसे ही कोरोना कहते हैं। ये एक तरह का विजुअल दिखने वाला कोरोना है, जाे अमूमन बारिश के दिनों में ही नजर आता है।
इसलिए बनी यह स्थिति
हमारे सारे कंडक्टर में किट बने होते हैं। हमारे घरों में जो वायर यूज होते हैं, उस पर पीवीसी कोटिंग होती है, लेकिन इन कंडक्टर पर किसी प्रकार की कोटिंग नहीं होती है। यह एल्युमिनियम के होते हैं। इसके चारों ओर जाे हवा बहती है, वह इंसुलेशन का काम करती है। जब हाई वोल्टेज होता है और हवा एक्रॉस हाेती है तो हवा का दबाव क्षमता से ज्यादा होता है। ऐसे में कंडक्टर में फ्लो होने वाला करंट बाहर निकलने लगता है और हमें पर्पल कलर में नजर आता है। बारिश में हवा में आर्द्रता बढ़ने से कंडक्टिव (गीली) हो जाती है। जैसे गीले व्यक्ति को सूखे की तुलना में करंट जल्दी लगता है।
कोरोना टर्म पॉवर इलेक्ट्रिकल ट्रांसमिशन में जानी पहचानी टर्म है। यह बारिश के दिनों में ज्यादातर देखने को मिलता है। इस दौरान बिजली के बड़े टाॅवर में तेज आवाज के साथ पर्पल कलर की रिंग बन जाती है। ऐसी स्थिति से बचने का एक ही उपाय है, टॉवर पर लगने वाले कंडक्टर के बीच दूरी बढ़ाना। - प्रो. कुसुमलता अग्रवाल, एचओडी, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, जीत कॉलेज